मशहूर एक्ट्रेस कृतिका कामरा ने टीवी पर अपने करियर का पीक देखा है। कई लोकप्रिय शोज करने के बाद कृतिका ने अचानक से यह फैसला लिया कि वो अब फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाएंगी।
कृतिका के लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था। करियर की ऊंचाई को छोड़ दोबारा संघर्ष करने के रिस्क के लिए तैयार होना।
आपको बता दें, जब कृतिका ने टेलीविज़न छोड़ा था, तो उस समय उनके पास तीन फिल्मों के ऑफर थे। करण जौहर और एकता कपूर की फिल्म में वो इमरान हाशमी संग अपना डेब्यू करने वाली थीं। मगर किस्मत को कुछ और मंजूर था, तीनों ही फिल्में डिब्बा बंद हो गई थीं। इस पर कृतिका बोलती हैं, इस तरह के अप्स ऐंड डाउन आते रहते हैं।
बुरा बहुत लगता है, मगर आप संयम रखने के अतिरिक्त कुछ कर भी नहीं सकते हैं। विशेष तौर पर जब आप एक आउटसाइडर हों, क्योंकि हमें बहुत इंतजार करना पड़ता है। आप जैसा काम करना चाहते हैं, उसके लिए लंबा इंतजार लगता है। अब जब देखती हूं, तो लगता है कि उसी इंतजार का फल मुझे मिल रहा है।
फाइनली अब मुझे मेरे मन लायक काम मिल रहा है। मुझे बंबई मेरी जान के पश्चात् अधिक कॉल्स आने शुरू हुए हैं। मैं जिन निर्माता और राइटर्स के साथ काम करना चाहती थी, उनके कॉल्स आ रहे हैं। तो ऐसे में ये जो सफलता है, वो मीठी सी लगती है क्योंकि आपने एक लंबा इंतजार किया होता है। हालांकि ऐसा नहीं था कि मुझे अवसर नहीं मिल रहे थे।
काम तो था, मगर वो ऐसे एवरेज काम होते थे, जिसे आप क्रिएटिवली तो नहीं करना चाहते होंगे। आज वो काम मिल रहे हैं, जो मैं डिर्जव करती हूं।
तो क्या इस लंबे इंतजार ने उन्हें कड़वा कर दिया था। इसके जवाब में कृतिका बोलती हैं, मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं था। यहां हमें सकारात्मक रहना पड़ता ही है, इंतजार करना पड़ता ही है। यदि मैं कड़वी होती, तो बहुत पहले ही रेस से बाहर हो जाती। स्वयं पर भरोसा रखना जरूरी है। हां, ये अहसास अवश्य होता था कि आउटसाइडर होने के नाते मेरे पास विकल्प कम हैं। जब मैंने टीवी छोड़ा, तो डिजिटल की शुरूआत हो रही थी।
मैं डिजिटल में भी काम को रिपीट नहीं करना चाहती थी। इसी बीच मुझे तांडव का ऑफर मिला था। तांडव के पश्चात् मैंने जो भी काम वेब किया है, वो बतौर कलाकार मेरे लिए बहुत सटिसफाई था। वेब को लेकर मैं बहुत सजग हूं, यहां चीजें केयरफुली ही चुनना चाहती हूं।
क्या अब भी टेलीविज़न अभिनेत्री के टैग से गुजरना पड़ता है। इसके जवाब में कृतिका बोलती हैं, अब लाइन्स ब्लर हो गई हैं। टेलीविज़न अभिनेत्री के टैग से अब नहीं नवाजी जाती हूं। यहां एक्टर को मीडियम से आंका नहीं जाता है। पहले जब टेलीविजन और फिल्म मीडियम था, तो उस समय ये अवश्य होता था। फिल्म ऑडिशन के चलते प्रशंसा तो होती थी, मगर बाद में यही बोलते थे कि तुम कुछ अधिक एक्सपोज्ड हो, चेहरा फ्रेश नहीं है।
मैंने स्वयं को छिपा लिया था। सोशल मीडिया पर लोग मुझसे पूछते रहते हैं कि आप दिखते नहीं है, काम क्यों नहीं करतीं, अरे आपने छोड़ ही दिया। ये बहुत टफ था। घर पर बैठकर चीजों को रिजेक्ट करना सरल नहीं है। आपको पैसे के बारे में सोचना पड़ता था। मेरे इसी कदम के कारण मैंने टेलीविज़न के टैग को मिटाया है।
सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स के नंबर कम होने पर भी उन्हें कम आंका जाता है। इस ट्रेंड पर कृतिका बोलती हैं, आजकल सबकुछ सोशल मीडिया ड्रिवन हो गया है। एक प्रकार से रेज्यूम बन चुका है। हालांकि मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता है। मैं वैसे लोगों के साथ काम भी नहीं करना चाहती कि कोई एक्टर के टैलेंट को उनके फॉलोअर्स के माध्यम से आंके।
टेलीविज़न के गिरते स्तर पर कृतिका आगे बोलती हैं, जब मैं टीवी कर रही थी, तब भी ऐसा ही हो रहा है। इसीलिए मैं वहां पर भी बहुत सिलेक्टिव थी। मेरी टीवी से हमेशा से यह शिकायत रही है। क्रिएटिवली मेरा बहुत डिफरेंस रहा है। हालांकि टेलीविजन ने मुझे बहुत कुछ दिया है। मगर जो टेलीविज़न की पहुंच है, उस स्टैंडर्ड का काम नहीं हो रहा है। अब वेब ने तो वो जगह ले ली है, वो सारी एक्सपेरिमेंटल चीजें यहां हो रही हैं।